#ओम श्री नवनाथाय नमः #ओम शिवगोरक्ष #गोरक्षनाथ वाणी #!! ओम चैतन्य मच्छिन्द्रनाथाय नमः !! #ओम चैतन्य कानिफनाथाय नमः
ॐ आदेश गुरुजी सत् नमो आदेश
आदेश माया मच्छिंद्रनाथजी को आदेश
आरती जग के रक्षक की
सदाशिव बाले गोरक्ष की।। धृ।।
श्रवण मे कुन्डल है आला
ध्यान मे बैठे है बाला
बिछाकर वाघाम्बर छाला
सदाशिव रुप धरा है अनुप, करोडो भूप
शरण मे आए रक्षक की सदाशिव ।। १।।
सुनहरी जटा शिश साजे
भाल पर आर्ध चंद्र विराजे
रुप लख जती पती भी लाजे
गेरुआ शाल, त्रिपुण्ड है भाल, गले मे माल
सुशोभित है रुद्राक्ष की सदाशिव ।। २।।
अखंडित भस्म आंग सोहे
मधुर ध्वनी की होय
देख छवी सुर नर मुनी मोहे
गले विच नाद, खडाऊ पाद, देव हि आज
जयती जय योग के रक्षक की सदाशिव ।। ३।।
पार्वती पार नही पावे,
राम और कृष्ण सुयश गायो
सकल सिद्धो के मन भायो
योगी अवधूत,आयोनिज पुत, पंच महाभूत
करत जय काल के भक्षक की सदाशिव ।। ४।।
लिये है योग युक्त झोली,
लुटारहे योगामृत खोली
शरण सब सिद्ध संत टोली,
सिद्ध सरताज,भेष की लाज, रखियो आज
आरज है पारस भिक्षूक की सदाशिव ।। ५।।