#bharmakumaris om shanti बच्चे आपका, पावन, श्रेष्ठ, जीवन ही है, मुझ भगवान बाप का, पैगाम देने का पैमाना...*
*इसके लिए, आत्म स्वरूप में स्थित होकर, मुझ परमात्मा पिता को ही, याद करना, एक मेरी ही याद, सभी को दिलाना...*
*एक मेरी याद से ही, सम्भव है, सारे विकारों का और विकर्मों का, भस्म होना...*
*मैं परम पवित्र परमात्मा पिता, तुम आत्माओं को, पावन बनाने के लिए, अपनी सर्वशक्तियों से कर रहा हूं, तुम्हारी पालना...*
*निरंतर मेरी पालना का, अनुभव करने के लिए, अब मन्सा, वाचा, कर्मणा, प्रैक्टिकल हो, पवित्रता की धारणा...*
*इसी धारणा से, पूर्ण होगी तुम्हारी, श्रेष्ठ जीवन की हर कामना...*
*मुझ परमात्मा पिता की, श्रीमत पर चलकर, प्राप्त कर सकते हो तुम, बेहद का भाग्य, पदम गुना...*
*मीठे बच्चो मानो अब, मुझ भगवान बाप का कहना...*
*मीठे बच्चो पवित्रता ही है, तुम आत्माओं को सदा, सुख, शांति, खुशी, संपत्ति, शक्ति से, संपन्न बनाने वाला, अनमोल खजाना...*
*इसके लिए, अपने को रुह समझ, रूहानियत में रहना और हर देह में, रूहू को ही देखना...*
*मुझ दिलवाले भगवान का ही, बनना है अब दीवाना, एक मुझसे ही, दिल लगाना..!!*
❤️ *ओम शान्ति*❤️
*GOOD NIGHT MERE PYARE SWEET SHIV BABA*
💫🌺🌸🌹🌸🌺💫
#bharmakumaris om shanti ...*मौन आगे बढ़ने की ताकत और सफल होने की दृढ़ता लाता है*।
🤝🇲🇰...*सदा बाप को हाथ में हाथ दे फिर चलो। अकेले नहीं चलो। अकेले चलेंगे तो कभी बोर हो जायेंगे और कभी किसकी नजर भी पड़ जायेगी। बाप के साथ चलेंगे तो एक तो कभी भी माया की नजर नहीं पड़ेगी और दूसरा साथ होने के कारण सदा ही खुशी-खुशी से मौज से खाते चलते मौज मनाते जायेंगे*...🤝🇲🇰
*AV* - 10/03/1986
💐 *श्रेष्ठ संकल्प* 💐
🤍 *मैं निरहंकारी आत्मा हूँ* 🤍
💕💕....*नम्रता, प्रेम, क्षमा और सादगी की कमी के कारण ही अहंकार पैदा होता है। विचार करें- स्वयं परमप्रिय शिवबाबा प्रतिदिन हम बच्चों को मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे कहकर नमस्ते करते हैं और स्वयं को विश्व सेवाधारी कहते हैं इसलिए हमें भी निमित्त, निर्माण और निर्मल वाणी रखकर सदा के लिए अहंकार को तिलांजलि दे सम्पूर्ण पावन बनना है*......💕💕
🧘 *योगाभ्यास* 🧘
🌠🇲🇰......*मैं आत्मा उस जगतनियंता परमात्मा शिव की संतान हूँ जो पूरे विश्व के परमपिता हैं, सर्वोच्च हैं, सर्वोपरि हैं लेकिन फिर भी सम्पूर्ण निरहंकारी हैं। मेरे सभी गुण, शक्तियां और विशेषताएं परमात्मा पिता की देन हैं। संसार की समस्त आत्माएं महान हैं, पूज्यनीय हैं। मैं सभी को सम्मान देने वाली, सभी का आदर करने बाली निरहंकारी आत्मा हूँ। मैंने विश्व सेवाधारी का ताज धारण किया हुआ है। मेरे द्वारा पूरे ग्लोब पर पवित्रता का प्रकाश फैल रहा है*.......🌠🇲🇰
#bharmakumaris om shanti .....*योग का यथार्थ ज्ञान*.....
🏵️🏵️...*कोशिश कर अपने को आत्मा निश्चय करो तो बाप की याद भी रहेगी। देह में आने से फिर देह के सब सम्बन्ध याद आयेंगे। यह भी एक लॉ है।... किसकी रग टूटती नहीं है। पूछते हैं - बाबा यह क्या है! अरे, तुम नाम-रूप में क्यों फँसते हो। एक तो तुम देहाभिमानी बनते हो और दूसरा फिर तुम्हारा कोई पास्ट का हिसाब-किताब है, वह धोखा देता है*।...सा. बाबा 3.6.05 रिवा.
🏵️🏵️...*अगर योग नहीं लगता तो अवश्य ही इन्द्रियों द्वारा अल्पकाल के सुख प्राप्त कराने वाले और सदाकाल की प्राप्ति से वंचित कराने वाले कोई न कोई भोग भोगने में लगे हुए हैं, इसलिए अपने निजी कार्य को भूले हुए हैं। जैसे आजकल के सम्पत्ति वाले वा कलियुगी राजायें जब भोग-विलास में व्यस्त हो जाते हैं तो अपना निजी कार्य राज्य करना वा अपना अधिकार भूल जाते हैं। ऐसे ही आत्मा भी भोग भोगने में व्यस्त होने के कारण योग भूल जाती है।... जहाँ भोग है, वहाँ योग नहीं*।
*अ. बापदादा 16.10.75*..
#bharmakumaris om shanti ...*इस पुरानी पतित दुनिया से तुम्हारा बेहद का वैराग्य चाहिए क्योंकि तुम्हें पावन बनना है, तुम्हारी चढ़ती कला से सबका भला होता है। अब श्रीमत पर सद्गति को पाना है, इसमें अपनी मत चल न सके। दैवीगुण भी धारण करने हैं। किसको भी दुःख न दो। किसको उल्टा-सुल्टा रास्ता बताए सत्यानाश न करो। एक ही मुख्य बात समझाओ कि बाप और वर्से को याद करो*।
🔶🔶 ...*कहा जाता है, आत्मा अपना ही शत्रु, अपना ही मित्र है, एक बाप की श्रीमत पर सदा चलते रहना यही सच्ची मित्रता है। सच्ची मित्रता है एक बाप को याद कर पावन बनना और बाप से पूरा वर्सा लेना। यह मित्रता करने की युक्ति बाप ही बतलाते हैं। संगमयुग पर ही आत्मा अपना मित्र बनती है*।
🔶🔶...*गायन वा पूजन योग्य बनने के लिए पक्का वैष्णव बनना है। खान-पान की शुद्धि के साथ-साथ पवित्र रहना है। इस वैल्युबुल जीवन में सर्विस कर बहुतों का जीवन श्रेष्ठ बनाना है। बाप के साथ ऐसा योग रखना है जो आत्मा की लाइट बढ़ती जाए। कोई भी विकर्म कर लाइट कम नहीं करना है। अपने साथ मित्रता करनी है*।
#bharmakumaris om shanti *आज की मुरली से स्वमान, अभ्यास: 15/8/25*
👸 *स्वमान*👸
👑 *मैं सबकी विशेषता देखने वाली विशेष आत्मा हूँ*
👸 *अभ्यास*👸
1️⃣ *हर एक की विशेषता को देखते जाओ तो विशेष आत्मा बन जायेंगे।* तो आज जो भी मिले उसकी विशेषता को देखते रहे। सबकी विशेषता को देखते-देखते हम भी विशेष बन जाएंगे
2️⃣ *इतनी छोटी सी आत्मा है इतने बड़े शरीर में। आत्मा में 84 जन्मों का पार्ट नूँधा हुआ है। सवेरे उठकर यह ख्याल करना चाहिए। बच्चों को स्मृति आई है आत्मा कितनी छोटी है, उनको अविनाशी पार्ट मिला हुआ है। मैं आत्मा कितनी वन्डरफुल हूँ* तो वंडरफुल आत्मा के वंडरफुल पार्ट का चिंतन करते रहे
3️⃣ *सबसे बड़ी बीमारी है चिंता, इसकी दवाई डाक्टर्स के पास भी नहीं है। चिंता वाले जितना ही प्राप्ति के पीछे दौड़ते हैं उतना प्राप्ति आगे दौड़ लगाती है इसलिए निश्चय के पांव सदा अचल रहें। सदा एक बल एक भरोसा - यह पांव अचल है तो विजय निश्चित है। निश्चित विजयी सदा ही निश्चिंत हैं* तो सारा दिन चेक करें कि मैं आत्मा बोझ का अनुभव कर रही हूं तो इसका मतलब बाबा में, उसके साथ में, ज्ञान में निश्चय की कमी है क्योंकि निश्चय बुद्धि आत्मा निश्चिंत रहती है
#bharmakumaris om shanti 𝙲𝙷𝙰𝙽𝙶𝙸𝙽𝙶 𝚀𝚄𝙾𝚃𝙴𝚂.
1) निरंतर अपने अच्छे करम करते रहो.
👉 नदी का पाणी मीठा होता है क्योंकि वो पानी देते रहता है.
👉 सागर का पानी खरा होता है क्योंकि वो हमेशा लेते रहता है.
👉 नाले का पाणी दुर्गंध देता है क्योंकि वो हमेशा रखा रहता है.
यही जिंदगी है.
😊 यदि देते रहोगे तो मीठे लगोगे.
😊 यदि लेते रहोगे तो खारे लगोगे.
😊 यदि रुके रहोगे तो बेकार लगोगे.
2) जो लोक दुसरो का हक और खुशीयां छीन लेते है वो इंसान कभी भी सुकून से सांसे नही ले सकेगा, क्योकी जब कर्म मिलने आते है तब सोचने का भी वक्त नही देता, समय और कर्म का थप्पड जब गाल पर पडता है तो इंन्सान के होश उड जाते है.
3) मजबूरी के साथ कभी किसी से प्यार नही करना, किसी पर एहसास करके अपनी खुशियां दाव पर नही लगाना है अगर दिल करे तो उसे सच्चा प्यार करना वरना झूठी अफवाओ से किसी को भी बदनाम नही करो.
4) उस इंसान के सामने कभी मत रोना जिसके सामने आपके रोने से उसे कोई फर्क नही पडता, ऐसा इंसान जब आपके बातों को ही नही समज सकता तो वो आपके आसूओ को क्या समझेंगे.
5) आज सबके पास आंखे है लेकिन सबके पास समान दृष्टिकोण नही है, बस यही बात इंन्सान को इंन्सान से अलग कर देती है.
6) जिस व्यक्ति को आपके रिश्ते की कदर नही है वहां पर खडे रहने से बेहतर है की अपने जीवन मे हमेशा अकेले और अपने पैरो पर ही खडे हो जाये, जहां आपकी उपस्थिती का होना यह स्वयं को ही जूते मारने के बराबर है, इसलिये दूर हो जाये ऐसे इंन्सान के जीवन से, जहां आपकी कदर ना हो, ना आपके रिश्ते की.
7) प्रेम क्या है.
🥰 प्रेम धोखा नही जीने का एक मौका है.
🥰 प्रेम बंधन नही आजादी का सलिक है.
🥰 प्रेम कोई रूप नही गुणों का स्वरूप है.
🥰 प्रेम अपवित्र नही, पवित्रता का स्वरूप है.
🥰 दुसरो को इज्जत वही इन्सान दे सकता है जो खुद इज्जतदार होगा, क्योकि इंन्सान दुसरो को वही चीज देता है जो उसके पास उपलब्ध है.
#bharmakumaris om shanti ...*व्यर्थ संकल्पों का कारण अज्ञानता है। अज्ञानता से देहाभिमान और देहाभिमान के कारण राग-द्वेष, भय-चिन्ता, दुख-अशान्ति, ईर्ष्या घृणा, अहंकार-हीनता का जन्म होता है, जो व्यर्थ संकल्पों का मूल कारण हैं। यथार्थ ज्ञान की धारणा से देही- अभिमानी स्थिति बनती है, जो समर्थ स्थिति है और चढ़ती कला का आधार है*।
🎯🎯...*इसके लिए बाबा तीन बिन्दुओं के स्मृति स्वरूप बनने के लिए कहा है। आत्मिक स्वरूप स्वतः में सर्वशक्तियों से सम्पन्न समर्थ है। परमात्मा बिन्दु अर्थात् परमात्मा सर्वशक्तिवान है, उनकी समृति मात्र से आत्मा समर्थ बन जाती है और ड्रामा बिन्दु अर्थात् ड्रामा के ज्ञान की यथार्थ धारणा होगी तो किसी तरह का व्यर्थ संकल्प आ ही नहीं सकता*।
🎯🎯...*आज बर्थ-डे पर बापदादा का यही संकल्प है कि यह व्यर्थ संकल्प रूपी अक का फूल अर्पण करो। व्यर्थ संकल्प न करना है, न सुनना है और न संग में आकर व्यर्थ संकल्पों के संग का रंग लगाना है। क्योंकि जहाँ व्यर्थ संकल्प होगा, वहाँ याद का संकल्प, ज्ञान के मधुर बोल, जिसको मुरली कहते हैं, वे शुद्ध संकल्प स्मृति में नहीं रहेंगे।... यह व्यर्थ संकल्प बाप को दृढ़ संकल्प से दे देना है।... बाप को एक बार अपनी रुचि से, दृढ़ता से दे दो और बार-बार चेक करो कि दी हुई चीज़ हमारे पास वापस तो नहीं आई*।...
#bharmakumaris om shanti शांति... 13.08.2025*
*आज का पुरुषार्थ*
📚📚...*आज बाबा ने मुरली में बताया है कि परमपिता परमात्मा (शिवबाबा) ही अकाल मूर्त हैं और उनका बोलता-चलता तख्त प्रजापिता ब्रह्मा हैं। जब शिवबाबा ब्रह्मा में आते हैं, तभी तुम ब्राह्मणों की रचना होती है। ब्रह्मा ही ज्ञान यज्ञ रचकर ब्राह्मणों को देवता बनाते हैं*।
📚📚...*यह रहस्य समझाया गया है कि यही प्रजापिता ब्रह्मा अपनी तपस्या और ज्ञान से अपने अंतिम जन्म के बाद, फिर से सतयुग के पहले जन्म में नारायण बनकर विष्णु का रूप लेते हैं*।
📚📚...*मुरली में जोर दिया गया है कि सभी पुराने पाप कर्मों (कर्मभोग) को योगबल से ही खत्म किया जा सकता है। अगर योगबल की कमी होगी, तो सजा खाकर ही कर्मों का हिसाब-किताब चुक्तू करना पड़ेगा। इसीलिए, बाप (शिवबाबा) को याद करना सबसे जरूरी है*।
📚📚...*मुरली में ब्रह्मा के बारे में कई राज़ बताए गए हैं, जैसे कि वे सूक्ष्मवतन में नहीं, बल्कि यहाँ हैं। वे आदि देव हैं, पर देवता नहीं हैं। ब्रह्मा ने ही ब्राह्मणों की रचना की है, जो बाद में देवता बनते हैं*।
📚📚...*यह समझाया गया है कि ब्रह्मा ही 84 जन्मों के बाद साधारण रथ में आते हैं, और उन्हीं की आत्
#bharmakumaris om shanti : - *राजयोगी स्टूडेन्ट्स को बाप का डायरेक्शन क्या है*?
*उत्तर* : - *तुम्हें डायरेक्शन है कि एक बाप का बनकर फिर औरों से दिल नहीं लगानी है। प्रतिज्ञा कर फिर पतित नहीं बनना है। तुम ऐसा सम्पूर्ण पावन बन जाओ जो बाप और टीचर की याद स्वतः निरन्तर बनी रहे। एक बाप से ही प्यार करो, उसे ही याद करो तो तुम्हें बहुत ताकत मिलती रहेगी। बुद्धि में रहे बनी-बनाई बन रही, बीती का चिंतन नहीं करना है*।
🤍🩵...*यह कॉमन क्लास नहीं है, इसमें आँखे बन्द करके नहीं बैठना है। टीचर को सामने देखना है। उबासी आदि नहीं लेनी है। उबासी गम (दुःख) की निशानी है*।
🩵🤍...*सन्तुष्टता योगी जीवन का विशेष लक्ष्य है, जो सदा सन्तुष्ट रहते और सर्व को सन्तुष्ट करते हैं उनके योगी जीवन का प्रभाव दूसरों पर स्वतः पड़ता है। जैसे साइन्स के साधनों का वायुमण्डल पर प्रभाव पड़ता है, ऐसे सहजयोगी जीवन का भी प्रभाव होता है। योगी जीवन के तीन सर्टीफिकेट हैं एक – स्व से सन्तुष्ट, दूसरा बाप सन्तुष्ट और तीसरा - लौकिक अलौकिक परिवार सन्तुष्ट* ।
🤍🩵...*स्वराज्य का तिलक, विश्व कल्याण का ताज और स्थिति के तख्त पर विराजमान रहने वाले ही राजयोगी हैं*।
#bharmakumaris om shanti ...*सदा यह स्मृति रहे कि मैं दुनिया में सबसे वैल्युबुल, विशेष आत्मा हूँ, मेरा हर संकल्प, बोल और कर्म विशेष हो, एक सेकण्ड भी व्यर्थ न जाए*...🌟
🌹...*जैसे प्रकृति के पाँच तत्व विकराल रूप धारण करेंगे वैसे पाँच विकार भी अपना शक्तिशाली रूप धारण कर अन्तिम दाव लगायेंगे। ऐसे समय में विशेष रूप से 'समेटने की शक्ति' को धारण करने की आवश्यकता है* 🌹...AV - 14-09-1975
⭐ *श्रेष्ठ संकल्प* ⭐
🤍 *मैं अवतरित आत्मा हूँ* 🤍
🏵️🏵️...*अशरीरी बनना अर्थात् आवाज से परे हो जाना। जैसे बापदादा अशरीरी से शरीर में आते हैं वैसे ही बच्चों को भी अशरीरी होकर शरीर में आना है। शरीर छोड़ना और लेना यह अभ्यास करना है। सेकण्ड में सेवा अर्थ आये और सेकण्ड में संकल्प से परे स्वरूप में स्थित हो गये। सेकण्ड में आवाज में आना और सेकण्ड में आवाज से परे हो जाना*...🏵️🏵️
🧘 *योगाभ्यास* 🧘
🌠🇲🇰...*मैं आत्मा अकालतख्त पर विराजमान हूँ। मैं देह से न्यारी हूँ। मैं आत्मा अपने सूक्ष्म शरीर में प्रवेश कर अव्यक्त वतन में पहुंच गई हूँ, जहाँ प्यारे बापदादा के नयनों से लाइट-माइट की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ी रही हैं। फिर सूक्ष्म शरीर को भी छोड़ मैं परमधाम में बाबा के समीप पहुंच गई हूँ। बाबा से सर्वशक्तियों की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं। मैं स्वयं को शक्तिशाली महसूस कर रही हूँ। मैं वापिस सूक्ष्म शरीर में वतन से होती हुई देह में आ गई। इस अभ्यास से अशरीरीपन का अनुभव सहज ही होगा*...🌠🇲🇰